कबीर और देवांश की डील
ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 7
अभी तक आपने पढ़ा की... ब्लैक बैंगल्स कुछ लोगो को बहुत बुरी तरह मारती है.. देवांश मोल गया था वहाँ वो एक लड़की से टकरा जाता है.... वो लड़की उसे बदतमीज कहकर वहाँ से निकल जाती है... देवांश को पहली बार किसी लड़की की बात बुरी नही लगती है....
"अब आगे "
रॉकी और देवांश मोल से निकलकर अपनी कार मे बैठ जाते है "कहाँ चलना है बॉस"...रॉकी पुछता है तो देवांश कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है.... "सेवन सीज़ होटल चलो"(कल्पनिक नाम) ... कबीर ओब्रोइ हमारा वेट कर रहा है.. रॉकी हैरान होते हुए कहता है.... आप कबीर ओब्रोइ की बात कर रहे हैं.... वो कबीर बिज़नेस टाइकून... देवांश हाँ मे सर हिला देता है....
रॉकी गाड़ी चलाते हुए कहता है.. " उसे हमसे क्या काम है ".... देवांश अजीब नज़रों से रॉकी देखता है जैसे केह रहा हो" तुम बेवकूफ हो क्या ".... फिर अपने फोन पर ध्यान देते हुए कहता है...
वेपन्स का बिज़नेस इंडिया मे हम उसी के साथ करेंगे... वो पावरफुल है इंडिया मे उसका नाम है... वो हमारे बहुत काम का है.... ऐसे ही बाते करते हुए... दोनों होटल पहुँच जाते हैं....
जब वो दोनों होटल पहुँच जाते हैं... दोनों जैसे ही अंदर आते हैं दोनों की नज़रे सामने कॉर्नर की टेबल पर बैठे एक लड़के पर जाती है...
वो लड़का जिसकी उम्र करीब 27-28 की होगी.... गोरा रंग, काली गहरी आँखे,5'11 की हाइट, परफेक्ट बॉडी... बनाने वाले ने जैसे फुर्सत मे बनाया हो...
वो किसी लड़की से बात कर रहा था... देवांश उस तरफ बढ़ जाता है.. और उसके पीछे रॉकी भी उस तरफ बढ़ जाता है.... देवांश जैसे ही उस लड़के के पास पहुँचता है... वो लड़का खडा हो जाता है..
कबीर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहता है... हैलो मिस्टर देवांश... देवांश भी बदले मे हाथ मिलाते हुए कहता हैलो मिस्टर कबीर... देवांश एक रहस्यमयी तरीके से कहता है "आपसे मिलकर खुशी हुई...
कबीर भी उसी तरह कहता है.. "मुझे भी".. देवांश की नज़र बार बार कबीर के सामने बैठी लड़की पर जा रही थी जिसका चेहरा उसके बालों से ढका हुआ था... और वो अपने फोन मे कुछ देख रही थी..
कबीर सब समझ रहा था... कबिर धीरे से देवांश का हाथ दबाता है और कहता है... "हाथ आने वाली चीज़ नही है".. देवांश तिरछी नज़र से उसे देखता हैं और कहता है... " देवांश "जीसे चाहे वो उसका ना हो ये नमुमकीन है"..... कबीर उसकी आँखो मे देखते हुए कहता है
शर्त नही लगाऊंगा लेकिन अगर पट जाए तो मान जाऊंगा... फिर वो उस लड़की को आवाज़ लगाता है.... "ज्योति अगर फोन का काम हो गया हो तो आस पास भी देख लो दुनिया मे क्या चल रहा है".... कबीर की बात सुन वो लड़की झटके से खड़े होते हुए कहती है..
"सो सॉरी कबीर वो थोड़ा इम्पोर्टेंट काम था".... कबीर देवांश की तरफ इशारा करते हुए कहता है... "मेरे नये दोस्त से मिलो"... इनका नाम देवांश है... "बिज़नेस की दुनिया के बेताज बादशाह.... देवांश इनसे मिलो ये है "मेरी सबसे अच्छी दोस्त ज्योति"... पेशे से टीचर हैं (बहुत कम ही लोग हैं जो ज्योति के आर्मी मे होने की बात जानते हैं कबीर ज्योति को टीचर के रूप मे जानता है)
देवांश बस ज्योति को देखे जा रहा था उसकी ग्रे आँखे, लंबे खुले काले बाल, वाईट टी शर्ट, ब्लू जीन्स पहने.. उस सिम्पल लूक मे भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी... देवांश को चुप खडा देख ज्योति उसके सामने चुटकी बजाते हुए कहती है.. "आप ठीक हैं"...
आपकी आंखों ने ढ़ेर कर दिया एक वार से,
एक भोली हिरनी ने शेर का शिकार किया अपनी नज़र से
ये बात देवांश ने बहुत धीरे से कही थी... कबीर पुछता है" तुमने कुछ कहा क्या "... देवांश कहता है "नही मैंने तो कुछ भी नही कहा"
देवांश ज्योति की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहता है... सॉरी वो मोल मे मेरा ध्यान नही था और मै तुमसे टकरा गया..... ज्योति मुस्कुरा कर कहती है.... "कोई बात नही होता है".... और देवांश से हाथ मिला लेती है...
देवांश के मुंह से सॉरी सुन रॉकी को चक्कर ही आने लगते हैं वह खुद से ही कहता है "यह बॉस को क्या हो गया है"...."एक लड़की को सॉरी बोल रहे हैं"....."अजीब इंसान हैं इसे समझना बहुत मुश्किल है"
ज्योति के हाथो की गर्माहट देवांश के दिल मे अलग ही सुकून दे रही थी.... ज्योति अपना हाथ पीछे कर लेती है... देवांश का उसका हाथ छोड़ने का मन नही कर रहा था.... तभी देवांश के कानों में कबीर की आवाज आती है जो कह रहा था "देवांश बैठ कर बात करते हैं"
देवांश हां में सर हिलाता है और वही लगी चेयर पर बैठ जाता है
कबीर सबके लिए कॉफी आर्डर करता है और ज्योति के लिए जूस तो देवांश कंफ्यूज होते हुए कहता है "यह कॉफी नहीं पीती है"...कबीर कुछ कहता उससे पहले ज्योति कहती है....."मुझे कॉफी की कड़वाहट नहीं पसंद"
ऐसी कुछ देर बात करने के बाद ज्योति कहती है ...."अब मुझे चलना चाहिए मुझे थोड़ा काम है".....कबीर कुछ कहने वाला होता है तभी देवांश झट से कहता है ....."अरे इतनी जल्दी क्यों थोड़ी देर और रुको ना".....उसकी बात सुन ज्योति मुस्कुरा देती है
"कोई बात नहीं मिस्टर देवांश अब तो मिलना लगा रहेगा"...फिलहाल मुझे थोड़ा काम है और कबीर की तरफ देखते हुए कहती है
"अच्छा कबीर मैं चलती हूं"....."ठीक है चलो मैं तुम्हें बाहर तक छोड़ देता हूं"......ज्योति मना करते हुए कहती है "कोई बात नहीं मैं खुद चली जाऊंगी"
और वहां से निकल जाती है ज्योति थोड़ी दूर आई थी... फिर पीछे मुड़कर देखती है और एक तिरछी मुस्कान उसके चेहरे पर खेलने लगती है फिर वहां से निकल जाती है और बाहर आकर किसी को कॉल करती है
"शेर जाल में फंस चुका है"......इतना कहकर मुस्कुरा देती है और कॉल कट कर देती है उसे अंदाजा नहीं था कि किसी ने उसकी बात सुन ली थी वो शख्स ज्योति के जाते ही वहां से चला जाता है
"अंदर होटल में"
कबीर देवांश से पूछता है ...."सो मिस्टर देवांश डील की बात कर ले" देवांश हमें सर हिला देता है
"मुझे कुछ वेपन चाहिए होंगे जो सबसे ज्यादा पावरफुल हो और एक समय में उससे ज्यादा से ज्यादा गोलियां चलाई जा सके"......और "ज्यादा से ज्यादा जगह ब्लास्ट की जा सके"......देवांश एक नजर कबीर को देखता है फिर कहता है "दुनिया के लिए द ग्रेट बिजनेस टायकून कबीर ओबरॉय इंडिया के माफियाज में से एक है"...."स्ट्रेंज"
कबीर मुस्कुरा कर कहता है "पैसा कमाने के लिए बिजनेस काफी है" और "मर्डर तो मैं बस शौक के लिए करता हूं".....देवांश कबीर को घूरते हुए कहता है "क्या ज्योति को पता है कि तुम एक माफिया हो" कबीर ना में सर हिला देता है
देवांश खुद से ही कहता है अजीब है "एक टीचर और एक माफिया स्ट्रेंज"...
देवंश फिर पुछता है.... तुम दोनों सिर्फ दोस्त..... वो अपनी बात अधुरी छोड़ देता है.. लेकिन कबीर समझ जाता है... और एक गहरी सांस लेकर कहता है... दोस्ती को दोस्ती तक रखने का वादा किया है बस इसलिए...
ऐसे ही कुछ देर बात करने के बाद देवांश और कबीर हाथ मिलाते हुए कहते हैं "तो फिर डिल डन हुई"... देवांश हां में सर हिला देता है
उसके बाद दोनों वहाँ से निकल जाते हैं....
ऐसे ही पूरा दिन बीत जाता है इस वक्त शाम के 5:00 बज रहे थे ज्योति स्टेशन पर बैठी अपनी ट्रेन का वेट कर रही थी तभी उसकी बगल वाली सीट पर एक लड़का आकर बैठता है
और उससे पूछता है "मिस आपको कहां जाना है".....ज्योति उस लड़के की तरफ देखती है .....तो दिखने में ठीक-ठाक लग रहा था बस उसकी दाढ़ी और उसके बाल कुछ ज्यादा ही बड़े थे...
ज्योति उससे पूछती है.."आपको कहां जाना है".....तो वह लड़का मुस्कुरा कर कहता है....."मुझे पटना जाना है एक दोस्त की शादी है"
ज्योति उसे एक बार देखती है .....फिर कहती है "मैं भी वही जा रही हूं मेरे बड़े भाई की शादी है"....वह लड़का एक्साइटिड होते हुए पूछता है...."आपके भाई का क्या नाम है"...वह लड़की उसे घूरते हुए पूछती है
"आप मुझसे इतनी पूछताछ क्यों कर रहे हैं"....तो वह लड़का कहता है ......"नहीं मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था".......अगर आप को नहीं बताना "कोई बात नहीं".....लेकिन सफर ऐसे अकेले नहीं कटता तो "क्या हम दोस्त बन सकते हैं"... ज्योति थोड़ा रूडली कहती है
"मैं स्ट्रेंजर से दोस्ती नहीं करती"....उसकी बात सुन लड़का हंस देता है...."अब आप हंस क्यों रहे हैं"....ज्योति चिढ़ते हुए पूछती है तो वो लड़का...."अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहता है"....."आपके जितने भी दोस्त हैं क्या वो हमेशा से दोस्त ही थे"...
"नही तो आप ऐसा क्यों कह रहे हैं"....ज्योति उसे अजीब नज़र से देखते हुए कहती है..... तो वो लड़का हाथ आगे बढ़ाते हुए कहता है..... "स्ट्रेंजर्स ही दोस्त बनते हैं".... "तो क्या अब आप मुझसे दोस्ती करेंगी"... ज्योति को खुद की बेवकूफी पर अब हसी आ रही थी...
लड़का उसे सोचते देख कहता है..
"इतना भी क्या सोचना थाम लो मेरा हाथ"..... "धोखा नही दूंगा वादा है"... ज्योति उसका हाथ पकड़ते हुए कहती है "मेरा नाम ज्योति है और मैं स्कूल में टीचर हूं".. लड़का उसका हाथ पकड़ते हुए कहता है "मेरा नाम यश है और मैं अभी पढ़ाई कर रहा हूं" और वह दोनों एक साथ मुस्कुरा देते हैं
यश मुस्कुराते हुए कहता है....
आखिर कौन है यश? और क्यों आया है ज्योति की जिंदगी में? ज्योति किसके फस जाने की बात कर रही है ? जानने के लिए पढ़ते रहिए...."मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स"
मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक खुश रहिए आबाद रहिए मुंबई रहिये या गाजियाबाद रहिये
........ बाय बाय......
KALPANA SINHA
11-Aug-2023 10:53 AM
Nice
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madhura
10-Aug-2023 03:01 PM
Nice
Reply
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
01-Feb-2023 04:44 PM
बेहतरीन भाग
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